ऐसा है हमारा अग्रवंश

संस्कृति और सभ्यता के विकासकाल में समाज के जिस अंग ने भारतीय संस्कृति की रक्षा का भार अपने वंâधों पर लिया, उनमें वैश्य वर्ण सर्वोपरि है। ब्राह्मण तो अपना पठन-पाठन का कार्य करते थे, क्षत्रिय युद्धों के साथ जीवन-मरण के बीच अपना जीवनयापन करते थे। वैश्य वर्ण ही ऐसा था, जिसके वंâधे पर देश की कृषि, गोरक्षा, व्यापार, आर्थिक संतुलन का भार आधारित था। कहना न होगा कि आदिकाल से उसने इस भार को दृढ़तापूर्वक निबाहते हुए प्राचीन परम्परा और गौरव की रक्षा में कहीं कमी नहीं आने दी। इतिहास के उन काले दिनों में जब तलवार और जोर-जुल्म के बल पर समूह के समूह अपना धर्म, अपनी सभ्यता की रक्षा नहीं कर सके, इस वैश्य वर्ग ने अपना धर्म, अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता की रक्षा, प्राण देकर भी की। कालांतर में यही वैश्य वर्ण लगभग ३०० उपवर्गों, उपजातियों में बंट गया। अग्रवाल समाज भी इन्हीं परिस्थितियों से उत्पन्न एक समाज है, जिसका विकास भगवान अग्रसेन ने अपनी सूझबूझ और सुदृढ़ विचारों के साथ एक नई सभ्यता, नई संस्कृति के रूप में किया। भगवान अग्रसेन के महाप्रयाण को ५००० वर्ष हो गए, लेकिन अग्रवाल समाज में आज भी उनकी दी हुई सभ्यता, संस्कृति और परम्ररा का निर्वाह होता चला आ रहा है। भारतवर्ष की अनेक जातियां, जहां अपने इतिहास, अपने उत्स, अपनी सभ्यता से अनजान हैं, वहां अग्रवाल समाज का अपना प्रामाणिक इतिहास है, वंश परम्परा है, रीति-रिवाज है, रहन-सहन और परस्पर विचारों का सामंजस्य है। समाज ने देश के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है। व्यापार हो या युद्ध हो, विज्ञान हो अथवा कला हो, साहबी हो अथवा नौकरी हो, सर्वत्र अपनी बुद्धि और सहनशीलता से कार्य करते हुए इससमाज ने देश में अपनी पहचान बनाई है, इसलिए इसका महत्व है।

समरसता और समान भाव, सबके लिए जीना, सबके लिए करना, स्वयं भूखे रहना पर अतिथि को भूखा न रखना, कार्य में लगन, धर्म में आस्था आदि गुण ऐसे हैं, जो विविधता लिए हुए अग्रवाल समाज को महानता प्रदान करते हैं। धर्म के क्षेत्र में अनेक त्यागी-तपस्वी, भक्त, विचारक, दार्शनिक इसी समाज की देन हैं। साहित्य के क्षेत्र में तो अनेकों नाम ऐसे हैं, जिनसे सारा राष्ट्र ही गौरवान्वित है। राष्ट्र-प्रेम, राष्ट्रहित में इनकी सेवाओं का उल्लेख बड़े-बड़े शहंशाहों- हुमायूं, अकबर, शाहजहां, जहांगीर आदि की आत्मकथा में बार-बार हुआ है। १८५७ की गदर हो अथवा महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन, सर्वत्र अग्रवाल समाज की प्रशंसा स्वर्ण अक्षरों में अंकित की गई है।

इस समाज का महत्व इसलिए और अधिक है, क्योंकि इसने जो कुछ किया सम्पूर्ण मानव जाति के विकास, उसकी खुशी, उसकी समृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया।

पहले लोग कहते थे कि सेना व पुलिस में अग्रवाल समाज के लोग रुचि नहीं लेते। दिल्ली के वैâप्टन बंसल ने एक शोध किया है, जिसमें उन्होंने अग्रवाल समाज के उन वीरों के जीवन पर प्रकाश डाला है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राण उत्सर्ग करने में विलम्ब नहीं किया। ऐसे १८० नाम उन्होंने अपनी पुस्तक में दिए हैं, जिनसे आज राष्ट्र गौरवान्वित है। इनमें स्वतंत्रता पूर्व के भी उन सैनिकों के नाम नामांकित हैं, जिन्हें ब्रिटिश शासनकाल में उनके शौर्य एवं वीरता के लिए पुरस्कृत किया गया।

इस समाज का महत्व इसलिए और अधिक है, क्योंकि इसने जो कुछ किया सम्पूर्ण मानव जाति के विकास, उसकी खुशी, उसकी समृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया।

पहले लोग कहते थे कि सेना व पुलिस में अग्रवाल समाज के लोग रुचि नहीं लेते। दिल्ली के वैâप्टन बंसल ने एक शोध किया है, जिसमें उन्होंने अग्रवाल समाज के उन वीरों के जीवन पर प्रकाश डाला है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राण उत्सर्ग करने में विलम्ब नहीं किया। ऐसे १८० नाम उन्होंने अपनी पुस्तक में दिए हैं, जिनसे आज राष्ट्र गौरवान्वित है। इनमें स्वतंत्रता पूर्व के भी उन सैनिकों के नाम नामांकित हैं, जिन्हें ब्रिटिश शासनकाल में उनके शौर्य एवं वीरता के लिए पुरस्कृत किया गया।

मेजर जनरल द्वारका प्रसाद गोयल, प्रथम भारतीय सेनानी थे जो ब्रिटिश सेना में मेजर जनरल बने। लेफ्टिनेंट कर्नल कांता प्रसाद, केप्टन शंकरलाल गुप्ता, केप्टन केदारनाथ गोयल, केप्टन बलदेव गुप्ता, कल्याण सिंह गुप्ता, सूबेरदार के.एल. जैन आदि अग्रवाल वीरों को प्रथम व द्वितीय महायुद्ध में अपने शौर्य के प्रदर्शन पर अनेक पदकों व अलंकरणों से सुशोभित किया गया। नौसेना के क्षेत्र में उल्लेखनीय नाम हैं स्क्वाड्रन लीडर एस.के. गोयल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रदीप कुमार, विंग कमांडर सुभाषचंद मित्तल, विंग कमांडर महावीर प्रसाद प्रेमी। पुरातत्व एवं मुद्रा के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त नामों में डॉ. परमेश्वरी लाल गुप्त का नाम विशेष उल्लेखनीय है, जिन्हें रायल न्यमेस्मेटिक सोसायटी ने सम्मानित किया है। यह गौरव प्राप्त करने वाले आप प्रथम विद्वान हैं।

खेल जगत में उल्लेखनीय नामों में सुभाष अग्रवाल स्नूकर, सुरेश गोयल, बैडमिंटन में तथा पुष्पेंद्र गर्ग को नौकायन में सम्मानित किया गया। भाखड़ानंगल बांध, दामोदर घाटी योजना, कोसी योजना, नर्मदा, हीरावुंâड आदि बांधों के निर्माण में आपने अकथनीय सेवाएं दीं। लगातार नौ वर्ष तक संयुक्त राष्ट्र में अपनी असाधारण प्रतिभा से इंजीनियर के रूप में विशेष ख्याति अर्जित की। डॉ. आत्माराम अग्रवाल भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं। १९५९ में उन्हें ‘पद्मश्री’ की उपाधि से विभूषित किया गया। डॉ. रामनारायण अग्रवाल भारत के उच्चकोटि के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों में जानी-मानी हस्ती हैं।